4078145881738806504
14271021545470334915
ब्रेकिंग न्यूज़
छत्तीसगढ़ बनेगा डेयरी हब! 2047 तक दूध और अंडा उत्पादन में ऐतिहासिक बढ़ोतरी का लक्ष्य धान खरीदी के लिए जरूरी हुआ एग्रीस्टैक पंजीयन! 31 अक्टूबर तक कराएं रजिस्ट्रेशन, वरना नहीं मिलेगा भुगतान मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान: हर स्कूल में होगा Social Audit, तय होंगे शिक्षा के नए मापदंड! जीएसटी 2.0 से मिलेगी बड़ी राहत! अब रोज़मर्रा की चीज़ें होंगी सस्ती – जानिए कितना होगा फायदा NSS अवॉर्ड 2023: कोरबा की लखनी साहू को मिला राष्ट्रपति सम्मान, छत्तीसगढ़ में जश्न का माहौल! छत्तीसगढ़ को मोदी कैबिनेट की बड़ी सौगात! ₹24,634 करोड़ की रेल परियोजनाओं को मंजूरी, गोंदिया–डोंगरगढ़ लाइन से बदल जाएगा विकास का नक्शा!

 छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में MBBS पीजी एडमिशन प्रक्रिया को निरस्त कर दिया है। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए, महाधिवक्ता द्वारा गड़बड़ी स्वीकार किए जाने के बाद, स्ट्रे राउंड की काउंसलिंग पर रोक लगा दी थी।

अब हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के पक्ष में आदेश जारी करते हुए पुनः काउंसलिंग (री-काउंसलिंग) कराने का आदेश दिया है। इस फैसले से उन सभी प्रभावित छात्रों को लाभ मिलेगा, जिन्होंने अपनी काउंसलिंग में गड़बड़ी के कारण पात्रता से संबंधित समस्याओं का सामना किया था।

दरअसल, यह गड़बड़ी तब हुई जब मेडिकल पीजी एडमिशन की प्रक्रिया में 3 साल की सेवा पूरी करने के नियमों को नजरअंदाज कर दिया गया था। इस पर डॉ. यशवंत राव और डॉ. पी राजशेखर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में बताया गया कि काउंसलिंग के दौरान अयोग्य उम्मीदवारों को सेवारत श्रेणी का लाभ दिया गया, जिससे यह नियमों का उल्लंघन हुआ।

काउंसलिंग में सेवा अवधि की गणना की गई थी, जो कटऑफ तारीख से आगे बढ़ा दी गई थी। इस कारण अयोग्य उम्मीदवारों को भी पात्र मान लिया गया। याचिकाकर्ताओं ने यह भी दावा किया कि उन्होंने इस गड़बड़ी की शिकायत विभाग के अफसरों से की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।

हाईकोर्ट ने पिछले सुनवाई के दौरान पाया था कि एक निजी उम्मीदवार को कटऑफ तारीख के बाद सीट आवंटित की गई थी, जो स्पष्ट रूप से नियमों का उल्लंघन था। महाधिवक्ता ने भी इस शिकायत को सही माना था, जिसके बाद कोर्ट ने स्ट्रे राउंड की काउंसलिंग पर रोक लगाई थी।

इस मामले की पूरी सुनवाई के दौरान, हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के तर्कों के साथ-साथ शासन के जवाब को भी सुना। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद, डिवीजन बेंच ने प्रदेश में मेडिकल पीजी एडमिशन प्रक्रिया को निरस्त करने का आदेश दिया।

आदेश में राज्य सरकार तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग को निर्देशित किया कि पूरी प्रक्रिया को नए सिरे से संचालित किया जाए। यह निर्णय प्रदेश के मेडिकल छात्रों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा, क्योंकि इससे उन्हें न्याय मिलेगा और प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *