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प्रदेश के 10 सरकारी मेडिकल कॉलेज संबद्ध अस्पतालों में केवल रायपुर में ही हार्ट के मरीजों के इलाज की सुविधा है। 9 में न तो एंजियोग्राफी और न ही एंजियोप्लास्टी की सुविधा है। दरअसल, इन अस्पतालों में कोई कार्डियोलॉजिस्ट नहीं है। कार्डियक सर्जन तो दूर की बात है। केवल एसीआई में हार्ट के सभी प्रोसीजर, ओपन व बायपास सर्जरी हो रहे हैं।

CG News: मरीजों को लगाने पड़ रहे चक्कर

ऐसे में प्रदेश की चारों दिशाओं के मरीजों को रायपुर की दौड़ लगानी पड़ रही है। कई मरीज जो समय पर पहुंच जाते हैं, उनकी जान बच जाती है। इन्हें रायपुर पहुंचने में देरी होती है, ऐसे मरीजों की मौत भी हो जाती है। पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (एसीआई) 31 अक्टूबर 2017 में शुरू हुआ था। इसके पहले मेडिसिन विभाग में कैथलैब यूनिट थी। तब वहां पर पीजीआई चंडीगढ़ व कुछ निजी अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट को बुलाकर एंजियोग्राफी व एंजियोप्लास्टी हो रही थी।

इसके बाद डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने स्वतंत्र रूप से प्रोसीजर करना शुरू किया। अब एसीआई में तीन कार्डियोलॉजिस्ट सेवाएं दे रहे हैं। इसी तरह 2017 से कार्डियो थोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी विभाग शुरू हुआ है। तब से वैस्कुलर व थोरेसिक सर्जरी हो रही है। ओपन हार्ट व वॉल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी भी रेगुलर हो रही है, लेकिन कोरोनरी बायपास सर्जरी एक ही हुई है। जरूरी स्टाफ नहीं होने से इसमें दिक्कत आ रही है।

बिलासपुर-जगदलपुर में सुपर स्पेशलिटी, लेकिन अधूरा

बिलासपुर व जगदलपुर में पिछले साल फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का लोकार्पण करने वाले थे, लेकिन काम अधूरा होने के कारण ऐसा नहीं हो सका। बाद में बिलासपुर में केवल ओपीडी शुरू हुई है। एंजियोग्राफी व एंजियोप्लास्टी शुरू नहीं हुई है। वहीं, जगदलपुर में तो डॉक्टरों के लिए वेतन तक तय नहीं किया जा सकता है।

जबकि वहां अस्पताल के लिए नई बिल्डिंग बनकर तैयार है। अस्पताल को एनएमडीसी को देने की चर्चा है। इसके लिए टेंडर भी मंगाया गया था, लेकिन फाइनल नहीं हो सका है। पिछले साल कलेक्टर ने डीएमएफ से डॉक्टरों को वेतन की अतिरिक्त राशि देने से मना कर दिया था। इसके बाद से ही वहां वेतन तय नहीं हो पा रहा है। जबकि बिलासपुर में 3 लाख वेतन की अतिरिक्त राशि ऑटोनाॅमस फंड से दिया जाएगा।

केस-एक

सुकमा जिले के 45 वर्षीय मानिक सिंह को सीने में तेज दर्द हुआ। ईसीजी से पता चला कि हार्ट की धड़कन अनियमित हो गई है। डॉक्टरों ने हार्ट अटैक का केस बताया गया। सुकमा व जगदलपुर में कैथलैब यूनिट नहीं है। इसलिए मरीज को रायपुर रेफर किया गया। मरीज की रास्ते में मौत हो गई।
केस- दो

सूरजपुर के 52 वर्षीय परमेश्वर लाल को हार्ट अटैक आया। अंबिकापुर में इलाज कराने पर बिलासपुर जाने को कहा। चूंकि बिलासपुर के सिम्स में एंजियोग्राफी व एंजियोप्लास्टी की सुविधा नहीं है। इसलिए मरीज को रायपुर लाया गया। किसी तरह मरीज की जान बची। दो स्टेंट लगाया गया।

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