एमपी के एम्स भोपाल (AIIMS Bhopal) के हार्ट सर्जरी विभाग ने हार्ट फेलियर (Heart Failure) के सर्जिकल प्रबंधन द्वारा फाउंडेशन दिवस मनाया। हार्ट फेलियर के सर्जिकल प्रबंधन विषय पर कार्यशाला (Workshop) आयोजित की गई। इसमें प्रमुख देश की स्वदेशी एलवेड मशीन के रिसर्च पर चर्चा की गई। जिससे हार्ट का ट्रांसप्लांट आसान होगा।
एलवेड पर ज्यादातर पश्चिमी देशों में शोध
चेन्नई के वैज्ञानिक डॉ. केआर बालकृष्णन ने कहा कि हम भारत (India) में एलवेड मशीन पर रिसर्च कर रहे हैं। इस मशीन से हार्ट से ब्लड को शरीर के अन्य अंगों में पहुंचाने का काम किया जाता है। हार्ट ट्रांसप्लांट (Heart transplant) के समय जब तक नया हार्ट नहीं मिलता तब तक मशीन से शरीर के अंगों को रक्त पहुंचाना होता है। इसके लिए हम स्वदेशी एलवेड मशीन बना रहे हैं। पश्चिमी देशों में इन मशीनों का निर्माण ज्यादा मात्रा में किया गया है।
बच्चों के लिए प्रत्यारोपण पर शोध पढ़े
कार्यशाला में डॉ. सुरेश राव ने भी अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए। उन्होंने हार्ट फेलियर के सर्जिकल इलाज से जुड़ी नई तकनीकों, अनुभवों और चुनौतियों पर चर्चा की गई। जिसमें देशभर से आए विशेषज्ञों, डॉक्टरों और शोधकर्ता ने अपने शोध प्रस्तुत किए। साथ ही अन्य विशेषज्ञों ने हृदय-फेफड़े, बच्चों के लिए प्रत्यारोपण, सर्जरी से पहले की तैयारी और वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस पर विचार-विमर्श किया। इस अवसर पर एम्स भोपाल के निदेशक प्रो. डॉ. अजय सिंह, उपनिदेशक डॉ. अजीत कुमार, डॉ. रजनीश जोशी, प्रो. डॉ. रेहान उल हक सहित अन्य मौजूद रहे।