‘त्रिलोकपति रावण’ के लेखक सुशील स्वतंत्र हिंदी साहित्य की विस्तृत निर्देशिका “हिंदी साहित्यानामा” के संपादक और प्रकाशक हैं. “संभावनाओं का शहर” कविता संग्रह और “ये वो संजना तो नहीं” उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं. माइथोलॉजी के अध्ययन में रुचि रखते हैं. इसी का नतीजा ‘त्रिलोकपति रावण’ पाठकों के सामने है.