Wheat Price Today 28 May 2025 : मध्यप्रदेश की मंडियों में इस बार गेहूं के भावों में उतार-चढ़ाव का सिलसिला जारी है। खासकर 28 मई 2025 को कुछ मंडियों में गेहूं के न्यूनतम भावों में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। सबसे ज्यादा चर्चा सिराली मंडी की हो रही है, जहां गेहूं का न्यूनतम भाव मात्र ₹1400 प्रति क्विंटल तक पहुंच गया। यह मूल्य केंद्र सरकार द्वारा तय किए गए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) ₹2275 से काफी कम है, जिससे किसानों में चिंता और असंतोष बढ़ गया है।
MSP से नीचे बिक रहा गेहूं, किसान घाटे में
राज्य के कई जिलों में अब तक सरकारी खरीद बंद हो चुकी है और निजी व्यापारी ही गेहूं की बड़ी मात्रा में खरीद कर रहे हैं। इसी वजह से कुछ मंडियों में कीमतों में गिरावट आई है। खासकर सिराली और खातेगांव जैसी मंडियों में न्यूनतम भाव एमएसपी से काफी नीचे हैं। हालांकि, राहत की बात यह है कि इंदौर, विदिशा और कुरावर जैसी मंडियों में अधिकतम और मॉडल भाव अभी भी MSP से ऊपर बने हुए हैं।
मध्यप्रदेश की प्रमुख मंडियों में गेहूं का रेट- 28 मई 2025
मंडी
वैरायटी
न्यूनतम भाव (₹/क्विंटल)
अधिकतम भाव (₹/क्विंटल)
मॉडल भाव (₹/क्विंटल)
सिराली
मिल क्वालिटी
1400
2548
2534
खातेगांव
अन्य
1601
2578
2530
इंदौर
मिल क्वालिटी
2200
2650
2609
इंदौर (NA)
NA
2500
2574
2564
विदिशा
NA
2636
2880
2880
जबलपुर
अन्य
2350
2550
2350
जोबट
अन्य
2400
2400
2400
उमरिया
NA
2210
2500
2500
कोलारस
अन्य
2535
2535
2535
कुरावर
NA
2300
2690
2505
सरकारी खरीद बंद, अब व्यापारी बना रहे रेट
मध्यप्रदेश, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में गेहूं की सरकारी खरीद (Wheat Price Today) प्रक्रिया अब समाप्त हो चुकी है। जबकि उत्तरप्रदेश और राजस्थान में यह प्रक्रिया जून तक जारी रहेगी। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देशभर में अब तक लगभग 29.78 मिलियन टन गेहूं की खरीद हो चुकी है और यह 30 मिलियन टन के भीतर ही थमने की संभावना है।
अब जबकि सरकार की खरीद थमी है, निजी व्यापारी ही रेट तय कर रहे हैं। जिन क्षेत्रों में आवक अधिक है, वहां भाव कम हो रहे हैं। सिराली जैसे इलाकों में गेहूं के न्यूनतम भाव ₹1400 जैसे चिंताजनक स्तर पर आ गए हैं, जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
मॉडल कीमतें दे रही थोड़ी राहत
हालांकि, सिराली और खातेगांव जैसी मंडियों में न्यूनतम भाव (Wheat Price Today) गिरने के बावजूद मॉडल कीमतें अब भी एमएसपी के ऊपर बनी हुई हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि मांग और आपूर्ति के बीच असंतुलन के बावजूद कुछ खरीदार उच्च गुणवत्ता वाले गेहूं के लिए अच्छे दाम देने को तैयार हैं।
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कृषि नीति और बाजार की निगरानी जरूरी
इस समय सरकार और प्रशासन के लिए जरूरी हो गया है कि वे मंडियों की स्थिति पर करीबी नजर रखें। खासकर जिन इलाकों में भाव एमएसपी से नीचे जा रहे हैं, वहां किसानों की सहायता के लिए त्वरित हस्तक्षेप की जरूरत है। साथ ही, यह देखना भी जरूरी होगा कि व्यापारी किसानों का शोषण न करें और मंडी व्यवस्था पारदर्शी बनी रहे।
हालांकि कुछ मंडियों में गिरावट चिंता का विषय है, लेकिन राज्य की अन्य मंडियों में अब भी मॉडल और अधिकतम भाव उम्मीद जगाते हैं। सरकार को चाहिए कि वह खरीद प्रक्रिया को और पारदर्शी और प्रभावी बनाए, ताकि किसानों को उनकी मेहनत का वाजिब मूल्य मिल सके।
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