जांजगीर-चांपा जिले की रहने वाली चित्रलेखा मनरेगा की जिलेभर में पहली महिला मेट है. बचपन में एक दुर्घटना में आंख पर चोट लगी और धीरे-धीरे एक आंख से दिखना बंद हो गया. इसके बावजूद भी इस कमजोरी को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया. मेट का कार्य होता है कि वे उनके क्षेत्र में काम करने वाले मनरेगा मजदूरों के कार्यों की निगरानी करना.मेट के काम से खुश चित्रलेखा का कहना है कि, मनरेगा ने उसे न केवल मेट के रूप में एक पहचान दी, बल्कि निर्माण कार्यों का इंजीनियर भी बनाया
जांजगीर-चांपा जिले की रहने वाली चित्रलेखा मनरेगा की जिलेभर में पहली महिला मेट है. बचपन में एक दुर्घटना में आंख पर चोट लगी और धीरे-धीरे एक आंख से दिखना बंद हो गया. इसके बावजूद भी इस कमजोरी को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया. मेट का कार्य होता है कि वे उनके क्षेत्र में काम करने वाले मनरेगा मजदूरों के कार्यों की निगरानी करना.मेट के काम से खुश चित्रलेखा का कहना है कि, मनरेगा ने उसे न केवल मेट के रूप में एक पहचान दी, बल्कि निर्माण कार्यों का इंजीनियर भी बनाया