Property Agreement Legal Action : कुछ लोग प्रॉपर्टी को खरीदकर कुछ वर्षों बाद अच्छे रिटर्न के साथ उसे बेचकर मुनाफा कमाते हैं। वहीं, कई लोग ऐसे भी होते हैं जो प्रॉपर्टी को खुद के रहने के उद्देश्य से खरीदते हैं। ऐसे लोग बजट, लोकेशन, आस-पास की सुविधाओं और भविष्य की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए एक सही घर या फ्लैट का चुनाव करते हैं। इस प्रकार प्रॉपर्टी खरीदना आज केवल एक व्यापारिक निर्णय नहीं, बल्कि जीवन की एक बड़ी और सोच-समझकर की गई योजना बन चुकी है। लेकिन ऐसे एक सवाल उठता है कि क्या मकान मालिक एग्रीमेंट के बाद फ्लैट बेचने से मना कर सकता ? एयर जानते हैं।
एग्रीमेंट के बाद मना करने पर क्या है कानून?
अगर किसी मकान मालिक ने बिक्री का एग्रीमेंट साइन कर लिया है और बाद में वह फ्लैट बेचने से इनकार कर देता है, तो यह सिर्फ नैतिक रूप से गलत नहीं बल्कि कानूनी रूप से अपराध भी है।
भारतीय नई आपराधिक संहिता (BNS) के तहत
धारा 316 – क्रिमिनल ब्रेच ऑफ ट्रस्ट (Criminal Breach of Trust)अगर किसी ने विश्वासघात करते हुए एग्रीमेंट के बावजूद प्रॉपर्टी बेचना टाल दिया या मना कर दिया, तो उसके खिलाफ 3 साल की जेल और जुर्माना हो सकता है।धारा 316(5)
धोखाधड़ी और गुमराही का मामलाअगर किसी ने जानबूझकर खरीदार को धोखा देने की नीयत से एग्रीमेंट किया, तो उसे 7 साल तक की जेल और आर्थिक दंड का सामना करना पड़ सकता है।
अगर फ्लैट न बेचे तो खरीदार क्या करे?
अगर एग्रीमेंट के बाद विक्रेता मना करता है, तो खरीदार:
कोर्ट में सिविल मुकदमा (Specific Performance Suit) दायर कर सकता है।
पुलिस में आपराधिक मामला दर्ज करवा सकता है (धोखाधड़ी व विश्वासघात का)।
कंपनसेशन/मुआवजा की भी मांग कर सकता है।
किसी लॉयर की सलाह से नोटिस भेज सकता है।
याद रखें
“Agreement to Sell” एक कानूनी दस्तावेज होता है।
इसे रजिस्टर्ड कराना और स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान करना ज़रूरी होता है।
अगर दोनों पक्षों ने सहमति से साइन किया है तो वह बाध्यकारी (binding) होता है।
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