भारत और अमेरिका के बीच बहुप्रतीक्षित ट्रेड डील पर अब तक अंतिम सहमति नहीं बन पाई है। कई दौर की बैठकों और चर्चाओं के बाद भी दोनों देशों के बीच कुछ मसले अटके हुए हैं। इस बीच भारत के केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने इस मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण अपडेट दिया है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि भारत केवल अमेरिका पर निर्भर नहीं है, बल्कि कई अन्य बड़े देशों के साथ भी व्यापार वार्ताएं तेज़ी से आगे बढ़ रही हैं। पीयूष गोयल ने बताया कि अमेरिका के अलावा भारत की ओमान और यूरोपीय संघ (EU) के साथ भी फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) को लेकर बातचीत उन्नत स्तर पर पहुंच चुकी है। ओमान के साथ समझौते को लगभग अंतिम रूप दे दिया गया है, जबकि यूरोपीय संघ और अमेरिका के साथ बातचीत तेजी से आगे बढ़ रही है।
उन्होंने आगे बताया कि भारत चिली, पेरू और न्यूजीलैंड जैसे देशों के साथ भी मुक्त व्यापार समझौतों पर सक्रिय रूप से वार्ता कर रहा है। इसका मकसद है वैश्विक स्तर पर भारत की उपस्थिति को और मज़बूती देना। गौरतलब है कि बीते 24 जुलाई को भारत और ब्रिटेन के बीच हुए ट्रेड डील के बाद इन वार्ताओं को लेकर उम्मीदें और अधिक बढ़ गई थीं। इसके तुरंत बाद पीयूष गोयल की यह टिप्पणी सामने आई है। लेकिन अभी भी इस बात को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है कि क्या भारत 1 अगस्त से पहले अमेरिका के साथ किसी रेसिप्रोकल टैरिफ (US Reciprocal Tariff) को टालने या उस पर समझौता करने में सफल होगा। बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, India-US ट्रेड डील से संबंधित चर्चाओं को गति देने के लिए अमेरिका का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल अगस्त के मध्य में भारत का दौरा करेगा। यह दौरा डील में रुकावट बने टैरिफ और अन्य मुद्दों को लेकर आम सहमति बनाने की दिशा में अहम साबित हो सकता है।
विकसित देशों पर अब भारत का खास ध्यान
पीयूष गोयल ने इस दौरान यह भी स्पष्ट किया कि भारत अब अपने ट्रेड रिलेशनशिप का फोकस विकसित देशों और ऐसे देशों की ओर बढ़ा रहा है, जिनकी वस्तुएं और सेवाएं भारत की अर्थव्यवस्था के लिए पूरक के रूप में काम कर सकती हैं — न कि प्रतिस्पर्धा बढ़ाने वाली। यूरोपीय संघ की ओर से लागू किए जा रहे कार्बन सीमा समायोजन कर (CBAM) पर गोयल ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि इससे यूरोपीय देशों में जीवनयापन की लागत बढ़ेगी और अंततः उनका खुद का व्यापार भी प्रभावित होगा। उन्होंने आत्मविश्वास से कहा,