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New Income Tax Bill 2025

भारतीय टैक्स ढांचे में दशकों बाद एक ऐतिहासिक बदलाव होने जा रहा है। आयकर अधिनियम, 1961 को रिप्लेस करने वाला नया आयकर विधेयक 2025 संसद के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा। इस बिल को ज्यादा सरल, कम जटिल और आम नागरिकों के लिए अधिक समझने योग्य बनाया गया है।

पुराने कानून से कितनी अलग है नई व्यवस्था?

नए आयकर विधेयक में पुराने 1961 के अधिनियम की तुलना में धाराएं और अध्याय दोनों घटा दिए गए हैं। पहले जहां 819 धाराएं और 47 अध्याय हुआ करते थे, वहीं अब नए कानून में केवल 536 धाराएं और 23 अध्याय होंगे। यह बदलाव कानून को कम जटिल और अधिक स्पष्ट बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इसके साथ ही, शब्दों की संख्या भी आधी कर दी गई है—पहले जहां 5.12 लाख शब्द थे, अब केवल 2.6 लाख शब्द होंगे, जिससे आम टैक्सपेयर्स के लिए इसे समझना काफी आसान हो जाएगा।

किन पहलुओं पर रहा मुख्य फोकस?

इस बार कानून को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि मुकदमेबाजी में कमी आए और टैक्सपेयर्स को कानूनी उलझनों से राहत मिले। भाषा को अत्यंत सरल और स्पष्ट बनाया गया है। तकनीकी और कठिन कानूनी शब्दों को हटाकर सीधे-सरल शब्दों का उपयोग किया गया है ताकि आम जनता भी टैक्स नियमों को आसानी से समझ सके।

क्या-क्या बड़े बदलाव किए गए हैं?

सबसे अहम बदलाव यह है कि अब ‘Assessment Year’ और ‘Previous Year’ की परंपरा को खत्म कर एक統 ‘Tax Year’ की नई अवधारणा लाई जा रही है। यह टैक्स प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाएगा। इसके अलावा, नए बिल में TDS, TCS और टैक्स बेनिफिट्स जैसी तकनीकी चीजों को समझाने के लिए 57 टेबल्स जोड़ी गई हैं, जो पहले केवल 18 थीं। इससे टैक्सपेयर्स को काफी स्पष्टता मिलेगी। इतना ही नहीं, इस नए विधेयक में 1,200 प्रावधानों और 900 स्पष्टीकरणों को हटा दिया गया है, जिससे यह कानून न केवल संक्षिप्त होगा बल्कि मुकदमेबाजी-मुक्त भी बन सकेगा।

कौन कर रहा है इस बदलाव की अगुवाई?

इस पूरे बिल की समीक्षा 31 सदस्यीय प्रवर समिति द्वारा की जा रही है, जिसका नेतृत्व बीजेपी सांसद बैजयंत पांडा कर रहे हैं। समिति ने नए बिल में कुल 285 बदलावों पर सुझाव दिए हैं। यह रिपोर्ट आगामी मानसून सत्र के पहले दिन, यानी 21 जुलाई 2025 को लोकसभा में पेश की जाएगी।

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