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हाइलाइट्स

प्राथमिक स्कूलों के विलय पर शिक्षकों का विरोध
ग्रामीण बच्चों की शिक्षा पर मंडरा रहा संकट
कांग्रेस ने पदयात्रा और चौपाल का किया ऐलान

Merger of Primary Schools in UP: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के कम नामांकन वाले प्राथमिक विद्यालयों के विलय के प्रस्ताव का विरोध तेजी से बढ़ रहा है। इस निर्णय की शुरुआत गोरखपुर से हुई, लेकिन अब इसे लेकर शिक्षक संगठन, शिक्षामित्र, अनुदेशक और राजनीतिक दल एकजुट होकर सड़कों पर उतरने की तैयारी में हैं।
शनिवार को शिक्षकों के संयुक्त मोर्चा ने ऑनलाइन बैठक कर इस प्रस्ताव का विरोध जताया और सरकार से इसे तुरंत वापस लेने की मांग की। मोर्चा ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने जल्द फैसला वापस नहीं लिया, तो वे आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
ग्रामीण और गरीब बच्चों पर असर
संयुक्त मोर्चा के प्रांतीय सचिव दिलीप चौहान ने कहा कि इस विलय से खासकर ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर तबके के वे बच्चे प्रभावित होंगे, जो अपने घर के पास के स्कूल में पढ़ाई करते हैं। अब उन्हें दूर के स्कूल जाना पड़ेगा, जबकि उनके पास आने-जाने के साधन तक नहीं हैं।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) का उल्लंघन
जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के अध्यक्ष योगेश त्यागी ने आरोप लगाया कि सरकार इस निर्णय के माध्यम से RTE एक्ट का उल्लंघन कर रही है। वहीं, उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय ने कहा कि अगर यह निर्णय वापस नहीं लिया गया तो सरकार के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा।
एक किलोमीटर की दूरी का नियम हुआ नजरअंदाज
विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन और बीटीसी शिक्षक संघ ने सरकार को याद दिलाया कि प्राथमिक विद्यालयों को एक किलोमीटर की दूरी पर खोलने का उद्देश्य यही था कि बच्चे आसानी से स्कूल पहुंच सकें। अब इन स्कूलों को मर्ज करना बच्चों और शिक्षकों दोनों के साथ अन्याय होगा।
राजनीतिक विरोध भी तेज
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि सरकार मनमाने तरीके से स्कूलों को मर्ज कर गरीबों के बच्चों को शिक्षा से वंचित कर रही है। उन्होंने कहा कि शिक्षक भर्तियों को जानबूझकर रोका जा रहा है और सरकारी स्कूलों को कमजोर किया जा रहा है।
पदयात्रा और चौपाल का ऐलान
प्रदेश कांग्रेस पिछड़ा वर्ग विभाग के अध्यक्ष मनोज यादव ने एलान किया है कि “सरकारी स्कूल बचाओ पदयात्रा” और “चौपाल” का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि जब बीजेपी कार्यालय फाइव स्टार बन सकते हैं, तो सरकारी स्कूलों में सुविधाएं देने में लेतलाली क्यों?
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