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मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की मंशानुसार और उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा के मार्गदर्शन में राज्य शासन द्वारा कबीरधाम जिले के दूरस्थ वनांचल ग्रामों में राजस्व व्यवस्था को सुलभ, पारदर्शी और त्वरित बनाने की दिशा में जिले में  सात दिवसीय विशेष राजस्व समाधान शिविरों का आयोजन किया गया। इन शिविर के माध्यम से नागरिकों को उनके ही गांव में राजस्व से संबंधित सेवाएं सुलभ कराई गई। इसी क्रम में कलेक्टर श्री गोपाल वर्मा ने अधिकारियों की विस्तृत बैठक ली। बैठक में 24 राजस्व निरीक्षक सर्किलों से प्राप्त आवेदनों की समीक्षा की गई। कलेक्टर श्री वर्मा ने अधिकारियों से शिविरों की प्रगति रिपोर्ट लेते हुए कहा कि इस पहल से राजस्व प्रकरणों के निराकरण में उल्लेखनीय तेजी आई है। आम नागरिकों को उनकी समस्याओं का समाधान गांव स्तर पर ही मिलना शासन की जनहितकारी नीति की बड़ी उपलब्धि है। बैठक में अपर कलेक्टर श्री विनय पोयाम, डॉ. मोनिका कौड़ो, श्री नरेन्द्र पैकरा सर्व एसडीएम, तहसीलदार सहित राजस्व अधिकारी उपस्थित थे।

विशेष राजस्व समाधान शिविरों 24 राजस्व निरीक्षक सर्किलों के अंतर्गत कुल 2 हजार 585 आवेदन प्राप्त हुए। इनमें से 2 हजार 273 आवेदनों का निराकरण कर दिया गया है। शेष 312 आवेदन अभी प्रक्रियाधीन हैं, जिनमें से अधिकांश विवादित प्रकरण हैं। कलेक्टर श्री वर्मा ने इस स्थिति की गहन समीक्षा करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए कि शेष मामलों को भी समयबद्ध ढंग से निपटाया जाए। उन्होंने स्पष्ट कहा कि विवादित प्रकरणों में दोनों पक्षकारों की बात ध्यानपूर्वक सुनी जाए, आवश्यक प्रतिवेदन प्राप्त कर निष्पक्ष निर्णय लिया जाए और किसी भी प्रकार का अनावश्यक विलंब नहीं होना चाहिए। कलेक्टर ने कहा कि शासन की मंशा है कि जनता को त्वरित, पारदर्शी और निष्पक्ष सेवा मिले। इसलिए प्रत्येक लंबित आवेदन को गंभीरता से लेते हुए निराकरण सुनिश्चित करें। उन्होंने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया कि शिविरों के दौरान जिन प्रकार की समस्याएं अधिक सामने आईं, उनका विश्लेषण कर आगे के लिए ठोस रणनीति बनाई जाए, ताकि भविष्य में ऐसे प्रकरण तेजी से सुलझाए जा सकें।

कलेक्टर श्री गोपाल वर्मा ने राजस्व प्रकरणों के त्वरित और पारदर्शी निराकरण को लेकर अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि अब समय-सीमा की बैठक में राजस्व प्रकरणों की विशेष समीक्षा अनिवार्य रूप से की जाएगी। इस बैठक में जिले के सभी तहसीलदारों सहित नायब तहसीलदारों की उपस्थिति सुनिश्चित होगी। कलेक्टर श्री वर्मा ने कहा कि जिन प्रकरणों का अभी तक निराकरण नहीं हो पाया है या जिन मामलों में पटवारी से प्रतिवेदन प्राप्त नहीं हुआ है, उन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। उन्होंने निर्देशित किया कि ऐसे मामलों में संबंधित पटवारी को सीधे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जोड़ा जाएगा, ताकि तत्काल जानकारी ली जा सके और फील्ड में आ रही वास्तविक दिक्कतों की पहचान कर उनका समाधान किया जा सके। उन्होंने कहा कि शासन की मंशा है कि किसान और आमजन को बार-बार दफ्तरों के चक्कर न काटने पड़ें, बल्कि उनकी समस्या का समयबद्ध निराकरण हो।

कलेक्टर श्री वर्मा ने कहा कि तहसीलदारों के पास गांववार लंबित प्रकरणों की सूची हर समय उपलब्ध रहनी चाहिए। इसमें यह स्पष्ट होना चाहिए कि कौन-सा मामला लंबित है, कहां पर अटका हुआ है और किस स्तर पर उसकी प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने निर्देश दिए कि यदि किसानों से प्रतिवेदन प्रस्तुत करवाए गए हैं तो उन्हें अधिकतम सात दिनों के भीतर पटवारी से प्राप्त कर लिया जाए। किसी भी परिस्थिति में प्रतिवेदन में अनावश्यक देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि राजस्व प्रकरणों के लंबित रहने से सीधे तौर पर आम जनता प्रभावित होती है। इसलिए प्रत्येक अधिकारी अपने स्तर पर पूरी जिम्मेदारी और गंभीरता के साथ कार्य करें। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आने वाले दिनों में जिला प्रशासन का पूरा फोकस लंबित मामलों के त्वरित और पारदर्शी निराकरण पर रहेगा। इस दौरान उन्होंने तहसीलवार अविवादित और विवादित नामांतरण, खाता विभाजन, सीमांकन, त्रुटि सुधार, डायवर्सन, असर्वेक्षित ग्रामों की जानकारी, नक्शा बटांकन की जानकारी ली।

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