दिवाली से पहले सरकार ने देशवासियों को राहत देने के लिए बड़ा कदम उठाया है। 3 सितंबर को हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में टैक्स ढांचे को सरल बनाते हुए 12% और 28% स्लैब को खत्म कर दिया गया और अब केवल दो दरें—5% और 18%—लागू रहेंगी। इसका असर रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल होने वाले घरेलू सामानों से लेकर कार-बाइक और इलेक्ट्रॉनिक्स तक पर पड़ेगा। तेल, साबुन, शैंपू, दूध, मक्खन, घी, टीवी, फ्रिज और एसी जैसे सामान अब कम टैक्स दरों में आएंगे और नई दरें 22 सितंबर 2025 से लागू होंगी। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या इस तारीख से ग्राहकों को वास्तव में सस्ता सामान मिलने लगेगा या फिर दुकानदारों के लिए यह बदलाव किसी चुनौती से कम नहीं होगा?
आजतक की टीम ने इस सवाल का जवाब जानने के लिए खुदरा दुकानदारों से बात की। नोएडा के किराना दुकानदार तेजपाल सिंह ने बताया कि उनके पास पहले से पुराने स्टॉक का काफी माल भरा है। चूंकि यह सामान धीरे-धीरे बिकता है, इसलिए तुरंत नई दरों का असर ग्राहकों तक नहीं पहुंचेगा। उन्होंने साफ कहा कि जब तक कंपनियां नया, कम टैक्स वाला सामान सप्लाई नहीं करेंगी, तब तक पुराना स्टॉक ही बिकेगा। अगर आगे से सामान सस्ता आएगा, तो वे भी सस्ता बेचेंगे। इसी तरह एक अन्य दुकानदार नरेश ने कहा कि सरकार का फैसला अच्छा है, लेकिन इसका असली असर तभी दिखेगा जब नई दरों वाला माल बाजार में पहुंचेगा। अभी स्टॉक में रखे पुराने सामान को पुराने रेट पर ही बेचना पड़ेगा।
इसी मुद्दे पर चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) ने भी सवाल उठाया है। सीटीआई के चेयरमैन बृजेश गोयल ने कहा कि सरकार ने करीब 400 वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी दर घटाई है, लेकिन दुकानों और गोदामों में पहले से ही पुरानी दरों वाला हजारों टन माल पड़ा है। ऐसे में चुनौती यह होगी कि व्यापारी पुराने सामान को कैसे नई दरों पर बेचें और ग्राहकों तक टैक्स कटौती का फायदा कैसे पहुंचाएं। उन्होंने सुझाव दिया कि कंपनियों को पुराने स्टॉक पर डीलरों को क्रेडिट नोट देना चाहिए, ताकि दुकानदारों को नुकसान न हो और ग्राहकों को भी राहत मिल सके।
उन्होंने यह भी कहा कि बड़ी कंपनियां जैसे रिलायंस और डीमार्ट अपने बिलिंग सिस्टम को तुरंत अपडेट कर सकती हैं, जिससे उन्हें फायदा होगा, लेकिन छोटे दुकानदारों और किराना व्यापारियों के लिए यह तकनीकी बदलाव आसान नहीं होगा। कई बार कंपनियां कीमत घटाने की बजाय पैकिंग का वजन बढ़ा देती हैं, जैसे 10 रुपये वाले बिस्किट पैक में पहले से ज्यादा बिस्किट डाल देना, ताकि कीमत वही रहे लेकिन ग्राहकों को अतिरिक्त फायदा मिले।
कुल मिलाकर, 22 सितंबर से नई दरें लागू तो हो जाएंगी, लेकिन ग्राहकों तक इसका सीधा असर पहुंचने में समय लगेगा। खासकर छोटे दुकानदारों के लिए पुरानी दरों का सामान नई दरों पर बेचना घाटे का सौदा साबित हो सकता है। इसलिए सरकार के फैसले का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाना कंपनियों, डिस्ट्रीब्यूटर्स और खुदरा व्यापारियों के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।