आज के दौर में टेक्नोलॉजी कंपनियां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर भारी निवेश कर रही हैं, और इसका असर अब कई सेक्टर्स में साफ नजर आ रहा है। मेडिकल, रिसर्च, सर्विस, और यहां तक कि गंभीर समस्याओं के समाधान में भी AI एक अहम भूमिका निभा रहा है। अब AI की इसी शक्ति का उपयोग Google ने साइबर सुरक्षा में एक क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए किया है।
Google ने अपने नए AI एजेंट ‘Big Sleep’ को पेश किया है, जिसकी सबसे खास बात यह है कि यह संभावित साइबर अटैक को होने से पहले ही पकड़ लेता है और उसे रोकने में सक्षम है। इस बड़े कदम की जानकारी खुद गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने अपने X (पूर्व में Twitter) अकाउंट पर साझा की।
क्या है ‘Big Sleep’?
Google का यह AI एजेंट DeepMind और Project Zero के अंतर्गत विकसित किया गया है। इसका मुख्य कार्य किसी भी सॉफ़्टवेयर में मौजूद अनदेखी या अनपहचानी गई सुरक्षा खामियों (Vulnerabilities) को ढूंढना है। पिछले साल नवंबर में इस AI एजेंट ने पहली बार एक खामी की पहचान की थी, जिससे यह साफ हो गया कि साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में भी AI अब निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
AI एजेंट ने कैसे रोका साइबर अटैक?
गूगल ने बताया कि उनकी इन-हाउस सिक्योरिटी टीम और Big Sleep की मदद से एक संभावित साइबर हमले को समय रहते रोक लिया गया। खास बात यह रही कि जिस वल्नरेबिलिटी को यह AI एजेंट पकड़ पाया, उसका किसी साइबर अपराधी ने अभी तक इस्तेमाल भी नहीं किया था। यानी उस खामी के पब्लिक डोमेन में आने से पहले ही उसे नष्ट कर दिया गया।
हालांकि गूगल ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि यह AI एजेंट कब से काम कर रहा है या कब इसे सिक्योरिटी में इंटीग्रेट किया गया। लेकिन इतना जरूर स्पष्ट है कि कंपनी इस सिस्टम को लंबे समय से टेस्ट कर रही थी।
New from our security teams: Our AI agent Big Sleep helped us detect and foil an imminent exploit. We believe this is a first for an AI agent – definitely not the last – giving cybersecurity defenders new tools to stop threats before they’re widespread.
— Sundar Pichai (@sundarpichai) July 15, 2025
AI और थ्रेट इंटेलिजेंस का पावरफुल कॉम्बिनेशन
Google ने ब्लॉग पोस्ट के जरिए बताया कि उन्होंने Big Sleep और Threat Intelligence को मिलाकर एक मजबूत सुरक्षा ढांचा खड़ा किया है। यह एआई न केवल नए खतरों की पहचान करता है, बल्कि यह उस स्टेज पर खतरे को खत्म करता है जहां तक किसी हैकर की नजर भी नहीं पहुंची होती।
यह पहल न केवल गूगल की सुरक्षा क्षमताओं को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि आने वाले समय में AI साइबर सिक्योरिटी के लिए कितना जरूरी और असरदार टूल बन सकता है।