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नारायणपुर जिले के ओरछा ब्लॉक का एक छोटा-सा हरा-भरा गांव है थुलथुली। चारों तरफ जंगलों और पहाड़ियों से घिरा यह गांव अब तक शिक्षक की कमी के कारण शिक्षा से वंचित था। शासकीय बालक आश्रम शाला, थुलथुली में भवन तो था, लेकिन पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं थे। बच्चे स्कूल तो आते थे, पर पढ़ाई की रफ्तार रुकी हुई थी।

इस हालात को बदला है छत्तीसगढ़ सरकार की युक्तियुक्तकरण ने, जिसके तहत स्कूलों में बच्चों की संख्या के हिसाब से शिक्षकों की तैनाती की गई है। इसी योजना के तहत शिक्षक श्री शोभीराम मरकाम की पोस्टिंग थुलथुली में हुई। पहले वे कुर्सीनवार के प्राथमिक शाला में पदस्थ थे। थुलथुली पहुंचते ही उन्होंने इसे सिर्फ नौकरी नहीं, बल्कि एक मिशन मान लिया।

श्री मरकाम न केवल बच्चों को पढ़ा रहे हैं, बल्कि उनमें आत्मविश्वास और उम्मीद भी जगा रहे हैं। वे मानते हैं कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बच्चों को एक अच्छा इंसान बनाती है। गांववाले भी उन्हें एक उम्मीद की किरण मानने लगे हैं। शिक्षक मरकाम अपनी इस उपलब्धि का श्रेय मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय और सरकार की नीतियों को देते हैं। उनका कहना है कि युक्तियुक्तकरण योजना जैसे प्रयासों ने दूरदराज के गांवों में भी शिक्षा की लौ जलानी शुरू कर दी है।

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