छत्तीसगढ़ में एक बार फिर मौसम का मिजाज बदलने जा रहा है. पश्चिमी विक्षोभ और द्रोणिका प्रणाली के सक्रिय रहने से प्रदेश में अगले कुछ दिनों तक हल्की से मध्यम वर्षा, गरज-चमक के साथ अंधड़ और वज्रपात की संभावनाएं बनी हुई हैं. वहीं, अधिकतम तापमान में भी हल्की वृद्धि देखने को मिल सकती है. मौसम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग प्रकार के मौसमीय प्रभाव देखने को मिलेंगे.
पश्चिमी विक्षोभ 70 डिग्री पूर्व और 27 डिग्री उत्तर अक्षांश पर, लगभग 3.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित है. इसके अतिरिक्त, एक उत्तर-दक्षिण द्रोणिका आंतरिक कर्नाटक से मन्नार की खाड़ी तक फैली हुई है, जो 0.9 किलोमीटर ऊंचाई तक विस्तारित है. यह स्थितियाँ प्रदेश के मौसम को प्रभावित कर रही हैं.
11 मई को प्रदेश में एक-दो स्थानों पर हल्की वर्षा या गरज-चमक के साथ छींटे पड़ सकते हैं. साथ ही कुछ स्थानों पर गरज-चमक के साथ तेज अंधड़ और वज्रपात की भी संभावना जताई गई है. जाजगीर-चांपा, रायगढ़, बिलासपुर, कोरचा, गौरला-पेडा-मरवाही, कलीरधाम, मुंगेली, सुरसुजा, सूरजपुर, कोरिला, बलरामपुर, में मेघगर्जन, आकाशीय बिजली और अचानक तेज हवा (30-40 KMPH) की संभावना है.
प्रदेश में अधिकतम तापमान में हल्की वृद्धि का दौर अगले कुछ दिनों तक जारी रहने की संभावना है. खासकर उत्तर और मध्य छत्तीसगढ़ में अधिकतम तापमान में 2-3 डिग्री सेल्सियस की क्रमिक वृद्धि हो सकती है, जबकि दक्षिण छत्तीसगढ़ में तापमान में कोई विशेष परिवर्तन नहीं होगा. मौसम विभाग के अनुसार, अगले दो दिनों तक प्रदेश में हल्के से मध्यम मेघ गर्जन होने की संभावना है, जबकि 12 से 14 मई के बीच मध्यम से तीव्र मेघ गर्जन की संभावना है. इसके अलावा एक-दो स्थानों पर 40-50 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं भी चल सकती हैं.
पिछले 24 घंटे में मौसम का हाल
बीते 24 घंटों में प्रदेश के कुछ एक स्थानों पर अति हल्की वर्षा दर्ज की गई. बिलासपुर में सर्वाधिक अधिकतम तापमान 41.0 डिग्री सेल्सियस और पेण्ड्रा रोड में न्यूनतम तापमान 21.4 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया. एक द्रोणिका पूर्वी उत्तर प्रदेश से होते हुए पूर्वी मध्य प्रदेश, विदर्भ और दक्षिण-पूर्व तेलंगाना तक समुद्र तल से 9.4 से 12.6 किमी ऊंचाई तक फैली हुई है. दक्षिणी अंडमान सागर, दक्षिण-पूर्वी बंगाल की खाड़ी और निकोबार द्वीप समूह की ओर बढ़ने की संभावना है. इसके बाद यह मानसून अरब सागर, मालदीव, कोमोरिन क्षेत्र, अंडमान सागर और मध्य बंगाल की खाड़ी की ओर भी आगे बढ़ सकता है.