मेडिकल कॉलेजों के नॉन क्लीनिकल विभागों यानी एनाटॉमी, फिजियोलॉजी व बायो केमेस्ट्री विभाग में पीएचडी व एमएससी डिग्रीधारी भी पढ़ा सकेंगे। हालांकि वे सीनियर रेसीडेंट व रेसीडेंट के बतौर सेवाएं देंगे। एनएमसी ने स्पष्ट किया है कि ये टीचर एक समय सीमा तक ही पढ़ा सकेंगे।
CG News: चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता
देश-प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या व सीटें बढ़ती जा रही है। ऐसे में फैकल्टी की कमी स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। वर्तमान में एमडी व रिसर्च वर्क करने वालों को ही टीचिंग की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। मेडिकल कॉलेज में टीचर की कमी को दूर करने के लिए एनएमसी ने यह निर्णय लिया गया है। टीचर्स एलिजिबिलिटी क्वालिफिकेशन में यह प्रावधान लाया गया है।
वहीं, एमडी डिग्रीधारी फैकल्टी का कहना है कि इससे चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता होगा। दरअसल, देश में लगातार मेडिकल कॉलेज और सीट की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। अंडर ग्रेजुएट में सीटों की संख्या एक लाख से अधिक हो चुकी है। आने वाले समय में सरकार और भी मेडिकल कॉलेज खोलने वाली है। ऐसे में टीचर की और भी जरूरत पड़ेगी।