छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर के गांधी नगर में रहने वाले आठवीं कक्षा के छात्र लक्की बचपन से ही दिव्यांग थे, दिव्यांगता के कारण उसे स्कूल आने-जाने तथा पढ़ाई-लिखाई में परेशानी होती थी, साथ ही उन्हें दैनिक जीवन के बहुत से कार्यो में कठिनाई का सामना करना पड़ता था। ऐसे में जब उनके पिता दिनेश कंसारी को राज्य शासन की दिव्यांग सहायक उपकरण वितरण योजना के बारे में जानकारी मिली, वे बिना देर किए बैटरी चलित ट्राइसिकल के लिए आवेदन दिया। मुख्यमंत्री विष्णुदेव के सुशासन की त्वरित कार्यवाही से लक्की को ट्राइसिकल मिली और अब लक्की स्वयं अपना दैनिक कार्य कर लेता है, साथ ही उन्हें पढ़ाई-लिखाई के लिए स्कूल जाने में उसे कोई दिक्कत नहीं आती है।
अम्बिकापुर के गांधी नगर में रहने वाले दिनेश कंसारी सायकल में घूम-घूम कर बर्तन बेचने का काम करते हैं। दिनभर गली-मोहल्लों में घूमने के बाद जो आय होती है, यही उनके आजीविका का साधन है। कंसारी के एक पुत्र लक्की और एक पुत्री है। जो कक्षा आठवीं और कक्षा चौथी में पढ़ते हैं। उन्होंने बताया कि उनके दोनों बच्चों को पढ़ने की बहुत रुचि है, पर पुत्र लक्की को बचपन से ही चलने-फिरने में समस्या है। उन्होंने अम्बिकापुर के लगभग हर अस्पताल और रांची में लक्की का इलाज कराया। पर उन्हें पता चला कि यह दिव्यांगता की समस्या आजीवन रहेगी और इसका इलाज सम्भव नहीं है। ये सुनते ही मानों उनके पैरों तले जमीन खसक गई। अपने छोटे से बच्चे को इस स्थिति में देखकर हृदय कांप उठता था। अब शासन की मदद से उनके पुत्र को ट्राइसिकल मिल गया, जिससे लक्की आसानी से स्कूल जाने में समर्थ है। कंसारी अपने लाडले लक्की को पढ़ा-लिखाकर काबिल इंसान बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे है।