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जांजगीर-चांपा की पुण्य भूमि शिवरीनारायण, आस्था और अध्यात्म की एक ऐसी नगरी है जहाँ हर वर्ष चैत्र नवरात्रि के पावन अवसर पर लाखों श्रद्धालु माँ अन्नपूर्णा देवी के दरबार में हाजिरी लगाते हैं। त्रिवेणी संगम तट पर स्थित रामघाट में विराजित सिद्ध शक्तिपीठ मां अन्नपूर्णा देवी मंदिर को रंग-बिरंगी झालरों और आकर्षक लाइटों से सजाया गया है।

मान्यता है कि सतयुग से यह मंदिर आस्था का केंद्र रहा है। चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन सुबह से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें मंदिर में दर्शन हेतु लगी रहीं। इस पावन अवसर पर एक हजार से अधिक मनोकामना ज्योत कलश प्रज्ज्वलित किए गए, जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय और आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत हो गया।

मंदिर के मुख्य पुजारी रविनारायण शर्मा सिद्धू महाराज ने जानकारी दी कि माता अन्नपूर्णा देवी की कृपा से संपूर्ण छत्तीसगढ़ धन-धान्य से परिपूर्ण है। उन्होंने बताया कि वनवास काल में जब श्रीराम शिवरीनारायण पधारे थे, तब माता अन्नपूर्णा ने उन्हें अक्षय पात्र प्रदान किया था, जिससे संपूर्ण वानर सेना की भूख शांत हुई थी। रामघाट के पार गिधौरी में स्थित “विश्राम वट” वह स्थान है जहाँ श्रीराम ने विश्राम किया था।

खरौद नगर के पंडित सुधीर मिश्रा ने बताया कि माता अन्नपूर्णा देवी की महिमा अपरंपार है, जो भी सच्चे मन से श्रद्धा भाव लेकर मां के दरबार में आता है, उसकी मन्नत अवश्य पूर्ण होती है।

शिवरीनारायण नगर निवासी श्रद्धालु शरद पांडे ने कहा कि मां अन्नपूर्णा सबको धन, धान्य, संतान और सुख-शांति प्रदान करती हैं। उन्होंने कहा कि यहां हर नवरात्र में ज्योति कलश प्रज्ज्वलित करने की परंपरा है, जिसे श्रद्धालु बड़ी श्रद्धा से निभाते हैं। मां अन्नपूर्णा देवी के दर्शन कर श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं पूर्ण होने की कामना करते हैं। मां के दरबार में जो भी आता है, वो खाली हाथ नहीं लौटता – यही श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास का प्रतीक है।

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