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छत्तीसगढ़ में मौसमी उतार-चढ़ाव के बीच ठंड का अहसास हो रहा है, मगर इसकी नियमितता के लिए नवंबर के पहले सप्ताह तक इंतजार करना होगा. राज्य में उत्तर-पूर्वी हवा का आगमन और दिन की लंबाई कम होने के बाद ही ठंड अपना असर दिखाएगी. अनुमान है कि प्रशांत महासागर में इस बार ला नीना का प्रभाव है.

अगर अचानक आने वाला पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय नहीं होता है तो न्यूनतम तापमान सामान्य से कम रहने की वजह से इस बार ठंड का असर अधिक रह सकता है. ठंड की शुरुआत होने के लिए उत्तर-पूर्वी हवा, दिन की लंबाई में कमी के साथ प्रति चक्रवात का बनना जरूरी होता है जो जमीनी स्तर पर तापमान को बढ़ाने से रोकता है

प्रदेश में ठंड को स्थापित करने के लिए तीनों परिस्थितियां नहीं बनी हैं. अभी स्थानीय प्रभाव से मौसम में ठंडक जरूर है, मगर दिवाली के दौरान आने वाली नमीयुक्त हवा से बादल बनते ही इसमें कमी आएगी. माना जा रहा है कि नवंबर के पहले सप्ताह से उत्तरी हवा के नियमित आगमन से मौसम में शुष्कता आएगी और तापमान में गिरावट का दौर शुरू होगा.

प्रदेश में ठंड का ज्यादा असर उत्तरी सीमा यानी सरगुजा संभाग में होता है, मध्य और बस्तर में इसका प्रभाव दिसंबर एवं जनवरी माह में महसूस होता है. फरवरी से इसमें गिरावट आने की उम्मीद है.

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