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आठ महीने से कसडोल और आसपास के गांवों में विचरण रहे बाघ को आखिरकार वन विभाग की टीम ने रेस्क्यू कर लिया। कसडोल के पारस नगर सेक्टर-1 में 9 घंटे के अभियान के बाद बाघ को ट्रैंकुलाइज़र गन की मदद से बेहोश कर पकड़ा गया। इस चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन में वन विभाग, पुलिस और विशेषज्ञों की टीम जुटी रही।

बारनवापारा और कोठारी अभयारण्य के जंगलों से भटककर यह बाघ आठ महीने पहले कसडोल, ग्राम कोट, और लवन आदि इलाकों में पहुंच गया था। ग्रामीणों ने कई बार इसे देखा, जिससे डर का माहौल बन गया। स्थानीय लोग खेतों में जाने से कतराने लगे। 25 नवंबर को लवन इलाके में बाघ को देखे जाने की सूचना वन विभाग को मिली। अगले दिन यह ग्राम कोट के एक बाड़ी में पैरा के ढेर में छिपा मिला।
ग्रामीणों के शोरगुल के कारण यह भागकर कसडोल के पारस नगर सेक्टर 01 के पेट्रोल पंप के पास पहुंच गया। इसके बाद ड्रोन की मदद से बाघ के मूवमेंट पर नजर रखी गई। इस बीच बाघ को बेहोश करने के लिए दो बार ट्रैंकुलाइज़र गन का उपयोग किया। अंततः बाघ को पेट्रोल पंप के पास सफलतापूर्वक काबू कर लिया गया।

रेडियो कॉलर के जरिए होगी निगरानी

CG News: पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ सुधीर अग्रवाल ने बताया कि रेस्क्यू के बाद बाघ का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया, जिसमें उसे पूरी तरह स्वस्थ पाया गया। वन्यजीव विशेषज्ञों ने बाघ को रेडियो कॉलर पहनाया, ताकि उसकी गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। जल्द ही बाघ को सुरक्षित स्थान पर छोड़ा जाएगा।

भीड़ को नियंत्रित करने घेराबंदीबारनवापारा डीएफओ मयंक अग्रवाल ने बताया कि रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान बड़ी संख्या में ग्रामीण मौके पर मौजूद थे। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस और वन विभाग की टीम ने इलाके की घेराबंदी की।
पीसीसीएफ व्ही. निवास राव, एपीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ प्रेम कुमार और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर ऑपरेशन की निगरानी की। ट्रैंकुलाइज़र विशेषज्ञों की टीम, जिसमें डॉ. पी.के. चंदन (कानन पेंडारी), डॉ. राकेश वर्मा (नंदनवन), और डॉ. रश्मिलता राकेश (कसडोल), सुनील यादव, रमाकांत यादव, शामिल थे।

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