हाइलाइट्स
प्रेम विवाह करने वाली बालिग को मिली आज़ादी
हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता मां की याचिका खारिज की
युवती को अपनी पसंद से रहने का अधिकार मिला
Allahabad High Court Ruling on Love Marriage: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले सुनाते हुए कहा कि प्रेम विवाह करने वाली बालिग युवती को अपनी पसंद की जगह पर रहने का पूरा अधिकार है। यह निर्णय कोर्ट ने चंदौली निवासी मनोरमा की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज करते हुए सुनाया, जिसमें उन्होंने अपनी 20 वर्षीय बेटी को उनकी हिरासत में सौंपने की मांग की थी।
क्या था मामला?
याचिकाकर्ता मनोरमा ने आरोप लगाया था कि कृष्णा उर्फ पप्पू, जो बिजली वायरिंग का काम करता है, ने उनकी बेटी को बहला-फुसलाकर भगा लिया है। उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया था कि उनकी बेटी को पेश कर उन्हें सौंपा जाए।
सरकारी पक्ष की दलील और दस्तावेज़ी प्रमाण
सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि जांच में यह स्पष्ट हो चुका है कि युवती और कृष्णा दोनों बालिग हैं और उन्होंने अपनी इच्छा से प्रेम विवाह किया है। उन्होंने कोर्ट में शादी की तस्वीरें और मैरिज रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट भी प्रस्तुत किए, जिससे यह प्रमाणित होता है कि शादी कानूनी रूप से वैध है और दोनों अपनी ज़िंदगी खुशी से बिता रहे हैं।
कोर्ट की टिप्पणी
कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि युवती बालिग है और अपनी मर्जी से जीवनसाथी चुनने और कहीं भी रहने के लिए स्वतंत्र है। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि किसी को भी उनके शांतिपूर्ण जीवन में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने संबंधित अधिकारियों को आदेश दिया कि वह सुनिश्चित करें कि कोई भी व्यक्ति उन्हें परेशान न करे और वे शांति से अपना जीवन व्यतीत कर सकें।
न्यायपालिका का व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर जोर
यह फैसला न केवल युवाओं के अधिकारों की रक्षा करता है, बल्कि निजी स्वतंत्रता, वैयक्तिक पसंद और संविधान प्रदत्त अधिकारों को भी मजबूती देता है। कोर्ट के अनुसार, जब कोई व्यक्ति बालिग हो जाता है, तो उसे अपनी जिंदगी के निर्णय स्वयं लेने का अधिकार है, चाहे वह विवाह हो या निवास स्थान।
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