जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक इस बार आम जनता के लिए बड़ी खुशखबरी लेकर आई है। दिवाली से पहले ही सरकार ने देश के छोटे कारोबारियों, किसानों और आम लोगों को राहत देने के लिए अहम फैसले लिए। बैठक में सबसे बड़ा बदलाव यह रहा कि जीएसटी स्लैब को घटाकर अब सिर्फ दो श्रेणियों—5% और 18%—तक सीमित कर दिया गया है, जबकि 12% और 28% स्लैब को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैठक के बाद जानकारी दी कि कई जरूरी वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी को शून्य कर दिया गया है। इनमें जीवन रक्षक दवाओं और हेल्थ-लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी से लेकर दूध, पनीर और पराठा तक शामिल हैं। यह नए रेट्स 22 सितंबर से लागू होंगे और इसका सीधा असर लोगों की जेब पर दिखाई देगा।
सबसे ज्यादा राहत फूड कैटेगरी को दी गई है। जिन प्रोडक्ट्स पर पहले 5% से 18% तक जीएसटी लगता था, उन्हें अब टैक्स फ्री कर दिया गया है। इसका मतलब है कि यूएचटी दूध, छेना, पनीर, पिज्जा, सभी तरह की ब्रेड, रेडी टू ईट रोटी और पराठा अब पूरी तरह जीरो जीएसटी स्लैब में होंगे। रोजमर्रा की थाली से जुड़े ये सामान सस्ते होने से आम आदमी को सीधा लाभ मिलेगा।
शिक्षा से जुड़े सामानों को भी जीरो टैक्स स्लैब में शामिल कर बड़ी राहत दी गई है। पहले इन पर 12% टैक्स लगता था, लेकिन अब पेंसिल, कटर, रबर, नोटबुक, नक्शे, चार्ट, ग्लोब, वॉटर सर्वे चार्ट, एटलस, प्रैक्टिस बुक, ग्राफ बुक और लैबोरेटरी नोटबुक पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। यह फैसला सीधे तौर पर छात्रों और अभिभावकों की पढ़ाई से जुड़ी लागत को कम करेगा और शिक्षा को और किफायती बनाएगा।
स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए लिए गए फैसले भी बेहद अहम हैं। काउंसिल ने 33 जीवन रक्षक दवाओं को जीरो जीएसटी के दायरे में लाकर मरीजों और उनके परिवारों को बड़ी राहत दी है। इन दवाओं में तीन कैंसर की दवाएं भी शामिल हैं। इन पर टैक्स हटने से गंभीर बीमारियों का इलाज पहले की तुलना में काफी सस्ता हो जाएगा। इसके साथ ही लंबे समय से लंबित मांग को मानते हुए इंडिविजुअल हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी को भी पूरी तरह टैक्स फ्री कर दिया गया है। इससे बीमा प्रीमियम पर लगने वाला अतिरिक्त भार खत्म होगा और आम लोग ज्यादा आसानी से बीमा योजनाओं का लाभ ले पाएंगे।
कुल मिलाकर, जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक ने आम आदमी की जिंदगी से जुड़ी चीजों पर राहत की बारिश कर दी है। जहां खाने-पीने, पढ़ाई और इलाज जैसे अहम क्षेत्रों को टैक्स फ्री किया गया है, वहीं नए स्लैब ढांचे से टैक्स प्रणाली को और सरल और पारदर्शी बनाने की दिशा में बड़ा कदम बढ़ाया गया है।