MP MLA Salary Hike, Madhya Pradesh Vidhayak News: भोपाल से आई बड़ी खबर आम जनता से लेकर राजनीतिक गलियारों तक चर्चा का विषय बन गई है। दरअसल, मध्य प्रदेश के सभी विधायकों को अभी विधायी और क्षेत्र की जनता से जुड़े कामकाज के लिए एक सरकारी कर्मचारी दिया जाता है। लेकिन, अब जल्द ही एक और सरकारी कर्मचारी मिल सकता है, जिससे उनके दफ्तर का कामकाज और तेज, व्यवस्थित और प्रभावी हो सकेगा। इसके साथ ही, करीब 9 साल बाद अब उनकी सैलरी और पेंशन बढ़ाने (MP MLA Salary Hike) की भी तैयारी जोर पकड़ रही है।
विधायकों को मिल सकता है एक और कर्मचारी
वर्तमान में राज्य के सभी विधायकों को क्षेत्रीय और विधायी कार्यों के लिए एक-एक कर्मचारी उपलब्ध कराया जाता है। लेकिन ये कर्मचारी यदि अवकाश पर हो या कार्यालयीन समय के बाद कार्य न करे, तो काम प्रभावित होता है। विधायकों ने इसी समस्या को विधानसभा की सदस्य सुविधा समिति के समक्ष रखा। समिति ने माना कि मौजूदा समय में केंद्र और राज्य की तमाम योजनाओं, पत्राचार और जनसंपर्क जैसे कार्यों के लिए एक कर्मचारी पर्याप्त नहीं है।
अब समिति ने सरकार से सिफारिश की है कि हर विधायक को एक और अतिरिक्त तृतीय श्रेणी कर्मचारी उपलब्ध कराया जाए। सामान्य प्रशासन विभाग इस प्रस्ताव को उच्च स्तर पर विचार के लिए भेज रहा है। यदि यह मंजूर होता है, तो विधायकों को जनसेवा में और अधिक सहायता मिलेगी।
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ऑनलाइन व्यवस्था और योजनाओं के कारण बढ़ा कार्यभार
आज पूरा तंत्र डिजिटल हो चुका है। विधायकों को विधानसभा सचिवालय के साथ समय-समय पर पत्राचार करना होता है। इसके अलावा, क्षेत्रीय विकास निधि, स्वेच्छानुदान, निर्वाचन कार्य और समितियों से जुड़े दायित्व भी बढ़ चुके हैं। विधायक अपने क्षेत्रों में लगातार दौरे पर रहते हैं, जिससे उन्हें ऐसे सहायक की जरूरत होती है जो उनके लिए कार्यालयीन और योजना संबंधी पत्राचार, रिपोर्टिंग और डाटा मैनेजमेंट का कार्य संभाल सके।
वेतन-पेंशन बढ़ाने की भी तैयारी
एक ओर जहां कार्य की मात्रा बढ़ी है, वहीं विधायकों के वेतन और भत्तों को लेकर भी बड़ा प्रस्ताव तैयार किया गया है। सूत्रों की मानें तो विधानसभा की सदस्य सुविधा समिति ने विधायकों की सैलरी में 40% और पेंशन में करीब 30% तक बढ़ोतरी (MP MLA Salary Hike) की सिफारिश की है। प्रस्ताव को संसदीय कार्य विभाग के जरिए शासन स्तर पर भेजा गया है।
अभी कितना मिलता है वेतन
फिलहाल मध्य प्रदेश के विधायकों को लगभग 1.10 लाख रुपये प्रति माह वेतन और भत्ते मिलते हैं, जिसमें 30 हजार रुपये मासिक वेतन, निर्वाचन भत्ता, स्टेशनरी, मोबाइल, मेडिकल और यात्रा भत्ते शामिल हैं। यदि नया प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो उनका वेतन बढ़कर 1.5 लाख रुपये और पेंशन 58 हजार रुपये तक हो सकती है।
दूसरे राज्यों के मुकाबले कम है सैलरी
तेलंगाना, झारखंड और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में विधायकों की सैलरी मध्य प्रदेश से कहीं अधिक है। जैसे झारखंड में 2.90 लाख, तेलंगाना में 2.50 लाख और महाराष्ट्र में 2.32 लाख रुपये प्रतिमाह वेतन मिलता है। ऐसे में मध्य प्रदेश के विधायक भी अब राष्ट्रीय स्तर पर वेतन की समानता की मांग कर रहे हैं।
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मुख्यमंत्री करेंगे अंतिम निर्णय
यह पूरा मामला अब मुख्यमंत्री के पास अंतिम निर्णय के लिए जाएगा। यदि प्रस्ताव को स्वीकृति मिलती है, तो मध्य प्रदेश के विधायक न सिर्फ एक और कर्मचारी से सशक्त होंगे बल्कि सैलरी और पेंशन में भारी बढ़ोतरी से भी लाभान्वित होंगे। जनता और राजनीतिक विश्लेषक अब इस प्रस्ताव पर सरकार की मुहर का इंतजार कर रहे हैं।
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