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Retail Inflation Record In April: अप्रैल 2025 में खुदरा महंगाई दर गिरकर सिर्फ 3.16% पर आ गई है, जो बीते 6 वर्षों में सबसे निचला स्तर है। यह आंकड़ा आम जनता के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, खासकर ऐसे वक्त में जब घरेलू बजट पर महंगाई का सीधा असर पड़ता है। सब्जियों, फलों, दालों और अन्य प्रोटीन युक्त खाद्य वस्तुओं के दामों में गिरावट इसका प्रमुख कारण रहा।
मार्च 2025 में यह दर (Retail Inflation) 3.34% थी, जबकि अप्रैल 2024 में 4.83% थी। इससे पहले जुलाई 2019 में खुदरा महंगाई 3.15% पर पहुंची थी। वहीं, खाद्य महंगाई की दर भी अप्रैल में गिरकर 1.78% हो गई, जो मार्च में 2.69% और पिछले साल इसी महीने में 8.7% थी।
Retail Inflation Record In April 2025
ट्रांसपोर्टेशन और टेलीकॉम में महंगाई दर
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में ट्रांसपोर्टेशन और टेलीकॉम की महंगाई दर 3.73 प्रतिशत दर्ज की गई, जो मार्च के 3.36 प्रतिशत से अधिक है। इसके अलावा, ईंधन और बिजली की महंगाई दर में भी तेजी से वृद्धि हुई और यह मार्च के 1.42 प्रतिशत से बढ़कर अप्रैल में 2.92 प्रतिशत तक पहुंच गई। वहीं, स्वास्थ्य महंगाई दर अप्रैल में लगभग स्थिर रही और 4.25 प्रतिशत दर्ज की गई, जो मार्च में 4.26 प्रतिशत थी।
RBI के लिए बड़ी राहत, ब्याज दरों में हुई कटौती
भारतीय रिजर्व बैंक के लिए भी यह स्थिति संतोषजनक है, क्योंकि उसका लक्ष्य खुदरा महंगाई को 4% (प्लस-माइनस 2%) के दायरे में बनाए रखना होता है। हाल ही में RBI ने 50 बेसिस पॉइंट्स की कटौती करते हुए ब्याज दरों को कम किया है। इससे बाजार में लोन लेना सस्ता हुआ है और आर्थिक गतिविधियों को रफ्तार मिली है।
RBI ने आने वाले वित्त वर्ष 2025-26 के लिए महंगाई दर औसतन 4% रहने का अनुमान जताया है। चारों तिमाहियों में महंगाई कुछ इस तरह रहेगी – Q1: 3.6%, Q2: 3.9%, Q3: 3.8% और Q4: 4.4%।
महंगाई को कैसे कंट्रोल करता है RBI?
महंगाई को नियंत्रित करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक विभिन्न मौद्रिक उपकरणों का प्रयोग करता है, जैसे – रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, CRR, SLR और ओपन मार्केट ऑपरेशन। जब RBI रेपो रेट बढ़ाता है, तो कर्ज महंगा हो जाता है, जिससे बाजार में पैसे की आपूर्ति घटती है और मांग कम होती है। इससे कीमतों पर नियंत्रण पाया जाता है।
RBI न केवल मौद्रिक नीति से, बल्कि समय-समय पर महंगाई पर अनुमान जारी कर लोगों की उम्मीदों को भी नियंत्रित करता है। इससे बाजार स्थिर रहता है और आम आदमी को भरोसा मिलता है।
 
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आर्थिक स्थिरता का संकेत और भविष्य की उम्मीदें
RBI समय-समय पर महंगाई के अनुमान और अपनी भविष्य की रणनीति को जनता और बाजार के सामने रखता है> इससे लोगों की उम्मीदों पर नियंत्रण रहता है और बाज़ार स्थिर बना रहता है। खुदरा महंगाई का इस स्तर तक गिरना न सिर्फ आम लोगों की जेब को राहत देगा, बल्कि यह देश की आर्थिक स्थिरता का भी स्पष्ट संकेत है। इसके चलते आने वाले दिनों में बाजार में निवेश और उपभोग बढ़ने की संभावना है, जिससे रोजगार और विकास के अवसर भी बन सकते हैं। 
 

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