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ब्रेकिंग न्यूज़

नक्सलवाद और नक्सली घटनाओं के लिए ही चर्चे में रहने वाला अबूझमाड़ शिक्षा क्षेत्र में नए बदलाव कर रहा है। जहां जनताना सरकार और लाल सलाम के नारों के बीच अ से अनार की गूंज सुनाई दे रही है। जंगल में भटकने वाले नोनिहाल अब हाथ मे कलम थामकर एबीसीडी ओर अ, आ, इ, ई, उ सीखकर अपना भविष्य गढ़ने लगे हुए है। यह सुखद तस्वीर अबूझमाड़ के कटुलनार में देखने को मिलती है। जहां पर स्कूल में दस्तक देते ही सबसे पहले नोनिहाल नक्सली नारों से रूबरू होते है। इसके बाद झोपड़ी में प्रवेश करने पर अपना भविष्य गढ़ने में जुट जाते है।

हालांकि कटुलनार का स्कूल घोटुल की झोपड़ी में है, क्योंकि इन इलाकों में व्यवस्थाओं को अब तक दुरुस्त नहीं किया जा सका है। लेकिन अच्छी खबर यह है कि बच्चे गांव में ही रहकर शिक्षा की अलख जला रहे है। इस स्कूल में बालिकाओं की दर्ज संख्या ज्यादा होने के कारण बालिका शिक्षा को बढ़ावा मिलते नजर आता है। (chhattisgarh news) जानकारी के अनुसार पुलिस बढ़ते कदम से नक्सलियों को बैकफुट पर जाने के विवश होना पड़ा है।
पुलिस ने अबूझमाड़ इलाके से नक्सलियों के अस्तित्व को खत्म करने की योजना पर अमल कर रही है। इस योजना के तहत घोर नक्सल प्रभावित इलाकों में थाना-पुलिस बैस कैंप का विस्तार तेजी के साथ किया जा रहा है। अबूझमाड़ इलाके में 7 पुलिस बैस कैंप खोले गए है। इन कैंपो की स्थापना से नक्सल अभियान में तेजी मिल रही है। अबूझमाड़ में स्थापित कैंप के आसपास स्थित इलाका नक्सल मुक्त हो रहा है।

नक्सली नारों के बीच अ से अनार की गूंज

सरकार भी अबूझमाड़ का तेजी से विकास करने में जुटी हुई है। इससे अबूझमाड़ में निवासरत ग्रामीणों बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कारगर कदम उठाए जा रहे है। इससे अबूझमाड़ की तस्वीर बदलते नजर आ रही है। लेकिन अभी भी नक्सलियों का भय पूरी तरह मिट नहीं पाया है। इसकी बांनगी अबूझमाड़ के कटुलनार में देखने को मिलती है। जहां पर घोटुल की झोपड़ी में प्राथमिक शाला का संचालन हो रहा है।

इस प्राथमिक शाला शाला में दस्तक देते ही लकड़ी से बनी बाउंड्रीवाल में लकड़ी का बोर्ड नक्सली नारो से पटा हुआ है। इन नक्सली नारों को मिटाने की हिम्मत कोई नहीं जुटा पा रहा है। इससे कटुलनार के प्राथमिक शाला में शिक्षा ग्रहण करने के लिए पहुचने वाली बालिकाएं प्रतिदिन सबसे पहले नक्सली नारों से रूबरू होती है। इसके बाद झोपड़ी के अंदर प्रवेश करने के बाद शिक्षा ग्रहण कर अपना भविष्य संवारने में जुट जाती है। इससे अबूझमाड़ के कटुलनार में नक्सली नारों के बीच अ से अनार की गूंज सुनाती देती है।

 

स्कूल भवन की स्वीकृति की गई प्रदान

अबूझमाड़ के कस्तूरमेटा में पुलिस बैस कैम्प स्थापित होने के बाद आसपास इलाके को विकास से जोड़ने की कवायद तेजी के साथ कि जा रही है। इसकी बांनगी कटुलनार में देखने को मिलती है। जहाँ पर कस्तूरमेटा से कटुलनार तक सड़क का निर्माण कार्य किया जा रहा है। लेकिन गांव के पहुच मार्ग की हालत जस के तस बनी हुई है। इससे गांव का पहुच मार्ग पगडंडी का है।

इसी पगडंडी से सहारे कटुलनार में प्रवेश करने को मिलता है। वही पहुच मार्ग में होने वाले नाले बल्लियों के सहारे पुल का निर्माण किया गया है। इस बल्लियों के सहारे ग्रामीणों की नईया पार हो रही है। वही कटुलनार में प्राथमिक शाला भवन निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गई है। लेंकिन निर्माण कार्य अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। इससे कटुलनार के बच्चों को पक्का स्कूल भवन कब तक नसीब हो पाता है, इसको देखना लाजमी होगा।

नक्सली नारों को मिटाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया कोई

CG News: अबूझमाड़ के कटुलनार में आंगनबाड़ी का संचालन होता है। जहाँ पर टीन की छत का पक्का भवन बना हुआ है। लेकिन आंगनबाड़ी भवन के सामने की दीवार नक्सली नारो से पूरी तरह पट्टी हुई है। इन नारो से प्रतिदिन नोनिहाल सहित कार्यकर्ता, सहायिका एव ग्रामीण रूबरू होते है।

यहां तक कि समय-समय पर महिला बाल विकास के अधिकारी निरीक्षण के लिए पहुंचते हैं। लेकिन नक्सली नारों को मिटाने की हिम्मत कोई नहीं जुटा पाया है। इन नारों को मिटाना मतलब अपनी मौत को बुलावा देना जैसे माना जाता है। इससे आंगनबाड़ी भवन में लिखे नारे नक्सली भय बया करते नजर आते है।

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