छत्तीसगढ़ के भिलाई जिले ग्राम टेमरी के युवा किसान योगेश साहू ने एमबीए की पढ़ाई करने के बाद जॉब करने की बजाय ऑयल पॉम की खेती कर कृषि के क्षेत्र में एक नई क्रांति की शुरुआत की है। परंपरागत धान , गेहूं और दलहन-तिलहन की खेती करने वाले योगेश ने अलग तरह की खेती करने की पहल की। इन्होंने 10 एकड़ में ऑयल पॉम की खेती कर अच्छी इनकम ले रहे है।
छत्तीसगढ़ सरकार मल्टीक्रॉप को लेकर किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। किस्तों में सस्ती दरों पर बीज उपलब्ध कराती है। इसका लाभ उठाते हुए टेमरी गांव के युवा किसान योगेश साहू ने 10 एकड़ के क्षेत्रफल में 576 पौधे ऑयल पाम के लगाए। युवा किसान योगेश साहू ने बताया कि इसी खेत में इंटरक्रापिंग करने वाले किसान को शासन की ओर से तीन साल तक सब्सिडी के रूप में राशि मिलती है। खेती लगने के चौथे साल कंपनी आकर ऑयल पॉम को ले जाती है। इसकी खेती से किसान लखपति ही नहीं करोड़पति बन सकते हैं।
योगेश ने बताया कि ऑयल पाम की खेती करने से प्रति एकड़ 8 से 12 टन पैदावार होती है। इसे 9 बाई 9 मीटर के दूरी पर लगाया जाता है। एक एकड़ में 57 पौधे लगाए जाते है। पॉम की खेती के बाद किसानों को धैर्य की अवश्यकता है। तीन साल तक इंतजार करना पड़ता है।
दादा के पास करीब 50 एकड़ खेत था। खेती को बचपन से देखा था। एमबीए की पढ़ाई मैसूर से की। पढ़ाई कंप्लीट होने के बाद सीधे घर लौट आया। दादा-पिता की विरासत को संभालने की जिम्मेदारी थी। तब हमने कृषि के क्षेत्र में परंपरागत खेती न कर आधुनिक खेती को बढ़ावा दिया। अभी 10 एकड़ में ऑयल पाम की खेती की है। करीब 8 एकड़ में बैगन की ग्राफिटिंग की है।
योगेश ने बताया कि ऑयल पॉम की खेती करने में प्रति एकड़ 8 से 12 टन पैदावार होती है। इस बार कंपनी 17 हजार रुपए प्रति टन में खरीदी है। हमने अभी 4 लाख की फसल को बेच लिया है। अन्य फसलों में तीन से चार बार उपज ले सकते है, लेकिन ऑयल पॉम से इसमें मात्र 40 से 50 हजार का खर्च कर 35 साल तक उपज ले सकते है। इस तरह किसान का शुद्ध प्रॉफिट है।
योगेश ने बताया कि अमूनन देखने को मिलता है कि फसलों के मधुमक्खियों से पर-परागण किया जाता है, लेकिन ऑयल पाम में पर-परागण वीवील कीट द्वारा किया जाता है। एक से दो किलो कीट को खरीदकर खेत में छोड़ देते है। फ्रूट तैयार हो जाने के बाद विभिन्न माध्यम से प्रोसेसिंग करने के बाद पाम ऑयल निकाला जाता है।
उपसंचालक उद्यानिकी विभाग पूजा कश्यप जिस किसान के खेत में पानी उपलब्ध है, वहीं ऑयल पॉम की खेती कर सकते है। इसे एक एकड़ में 57 पौघे लगाते है। यह तीन साल के बाद तैयार हो जाता है। इसमें इंटरक्रापिंग के लिए शासन द्वारा 17 हजार प्रति एकड़ सब्सिडी मिलती है। दुर्ग जिले में 300 हेक्टेयर का टारगेट है। अभी दुर्ग जिले में 77 हेक्टेयर में किसान ऑयल पाम की खेती कर रहे है।