छत्तीसगढ़ राज्योत्सव 2024 का आगाज सोमवार (4 नवंबर) से हो रहा है। 25वें वर्ष में प्रवेश कर रहा युवा छत्तीसगढ़ अपने स्वास्थ्य को लेकर विकास के रास्ते पर तेजी से अग्रसर है। राज्य का स्वास्थ्य बजट 5461 से बढ़कर 7563 करोड़ रुपए कर दिया गया है।
छत्तीसगढ़ राज्योत्सव 2024 का आगाज सोमवार (4 नवंबर) से हो रहा है। 25वें वर्ष में प्रवेश कर रहा छत्तीसगढ़ अपने स्वास्थ्य को लेकर ना सिर्फ सतर्क है बल्कि नई तकनीक को लेकर सजग भी है। स्वास्थ्य को लेकर छत्तीसगढ़ कितना गंभीर है इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि आने वाले समय में स्वास्थ्य का बजट दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है। इसकी शुरुआत भी कर दी गई है। वर्ष 2023-24 में राज्य का स्वास्थ्य बजट 5461 करोड़ रुपए था जिसमें 38.5 फीसदी का इजाफा करते हुए वर्ष 2024-25 में 7563 करोड़ रुपए कर दिया गया है।
छत्तीसगढ़ जब नवजात था तब वो बीमारियों से घिरा हुआ था। राज्य में मातृ मृत्यु की दर काफी ज्यादा थी। संस्थागत प्रसव न के बराबर था। बस्तर में जितनी मौतें नक्सली मुठभेड़ में नहीं होती थी उससे कहीं ज्यादा मौतें मलेरिया से हो जाती थीं। एंबुलेंस सेवा नहीं होने से मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता था। हालांकि आज के युवा छत्तीसगढ़ के लिए ये बातें अब पुरानी हो चुकी हैं। वर्ष 2003 मे जहां मातृ मृत्यु दर प्रति एक लाख में 269 थी जो आज घटकर 137 हो गयी है।
नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-3 (2005-06) के अनुसार राज्य में संस्थागत प्रसव सिर्फ 15.3 फीसदी था। आज 70 फीसदी के इजाफे के साथ नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-5 (2019-21) के आंकड़ो के अनुसार 85.7 फीसदी तक पहुंच चुका है। बस्तर में मलेरिया पर अंकुश लग चुका है। वर्ष 2018 की तुलना में आज बस्तर में मलेरिया के मामलों में 50 फीसदी की कमी आ गयी है। 108 संजीवनी एंबुलेंस सेवा राज्य के लोगों के लिए वाकई संजीवनी साबित हो रही है। पिछले एक साल में ही डायल 108 पर 9 लाख 73 हजार 681 आपातकालीन फोन काल्स आए और इनमें से 3 लाख 4 हजार 847 मरीज लाभांवित हुए।