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कोविड काल तो समाप्त हो गया, लेकिन कोरोना वायरस का असर समाप्त नहीं हुआ है। वायरस म्यूटेट होकर अब भी वातावरण में व्याप्त है। मौसम में उतार चढ़ाव के साथ ही बच्चे अब आरएसवी वायरस के चपेट में आकर निमोनियों के शिकार हो रहे हैं। जिला अस्पताल में हर तीसरे दिन 5 से 7 बच्चे निमोनियों से पीड़ित होकर इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। जिला अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ रविकिरण शिंदे ने बताया कि आरएसवी (रेस्पिरेटरी सिंसिटियल वायरस) एक अत्यधिक संक्रामक वायरस है।

यह वायरस शिशुओं में श्वसन संबंधी बीमारी पैदा करती है। इसमें ब्रोंकियोलाइटिस और निमोनिया जैसे फेफड़ों का संक्रमण भी शामिल है। वर्तमान में सर्द-गर्म मौसम के चलते इस वायरस से शून्य से 7 साल तक के बच्चे सबसे ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं। उन्हाेंने बताया कि 3 में से दो बच्चे 1 वर्ष की आयु तक आरएसवी से ग्रस्त हो जाते हैं। इससे संक्रमित होने पर सर्दी, जुकाम जैसे सामान्य लक्षण होते हैं।
इससे बच्चों को श्वांस लेने में दिक्कत होती है। इस साल फरवरी माह से ही गर्मी की शुरूवात हो गई है। सुबह ठंड के बाद गर्मी पड़ने से बच्चे सर्दी, खांसी और बुखार से पीड़ित हो रहे हैं। सामान्य लक्षण होने पर बच्चे को दवाई दे रहे हैं जबकि निमोनिया के लक्षण होने पर भर्ती कर इलाज किया जा रहा है
इतने बच्चे इलाज के लिए हुए भर्ती 

जिला अस्पताल में नवंबर-2024 में 112, दिसंबर-2024 में 112, जनवरी-2025 में 133 और फरवरी माह में करीब 140 बच्चे इलाज के लिए भर्ती हुए हैं। इनमें से अधिकांश बच्चे सर्दी, खांसी और बुखार से पीड़ित थे। जबकि 15 प्रतिशत केस में बच्चों को निमोनियां थी। हालांकि इलाज के बाद सभी बच्चे पुन: स्वस्थ होकर वापस अपने घर चले गए।

डॉ रविकिरण शिंदे ने बताया कि निमोनिया के कई कारण हो सकते हैं। इनमें यदि परिवार का कोई भी सदस्य स्मोकिंग करता है तो इसका असर सीधे बच्चे के स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसी तरह टीबी के ऐसे मरीज जो दवाई ले रहे हैं, लेकिन सावधानी नहीं बरत रहे। प्री-मैच्योर बच्चे की शारीरिक रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। ऐसे बच्चे स्वस्थ होने के बाद संक्रमण की गिरफ्त में जल्दी आते हैं। ऐसे कई कारण हो सकते हैं। वर्तमान में आरएसवी वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है।

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