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राजिम कुंभ कल्प में देशभर से साधु-संतों का समागम हो रहा है, जहां श्रद्धालु धर्म और तप की गंगा में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं. इसी संत-समागम में स्वामी गौतमानंद महाराज भी पहुंचे हैं, जो अपने दिव्य तप और अद्भुत संकल्प के लिए चर्चित हैं. स्वामी गौतमानंद पिछले 15 सालों से निराहार जीवन जी रहे हैं, यानी उन्होंने 2010 से अब तक अन्न का एक दाना तक ग्रहण नहीं किया है. राजिम कुंभ कल्प में श्रद्धालु स्वामी के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं और उनकी इस कठोर तपस्या को देखकर अचंभित हो रहे हैं. उनकी दिव्यता और आशीर्वाद की चर्चा दूर-दूर तक फैल रही है.

स्वामी गौतमानंद महाराज ने बताया कि वे केवल दूध और पानी का सेवन करते हैं, लेकिन भोजन का त्याग करने के बावजूद वे पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं और उन्हें आज तक किसी भी प्रकार की बीमारी नहीं हुई है. उनके इस तप ने श्रद्धालुओं और वैज्ञानिकों के लिए एक बड़ा आश्चर्य खड़ा कर दिया है.

जब उनसे इस कठोर व्रत की शुरुआत के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि साल 2010 में एक बार उन्हें बाहर यात्रा पर रुकना पड़ा, लेकिन वहां का भोजन उन्हें रुचिकर नहीं लगा. तब उन्होंने भगवान से प्रार्थना की कि “हे प्रभु! मुझे ऐसी शक्ति दें कि मुझे भूख ही न लगे.” और आश्चर्यजनक रूप से वे पूरे पांच दिन तक बिना भोजन के रहे, फिर भी उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई. यही अनुभव उन्हें यह संकल्प लेने की प्रेरणा दे गया कि अब वे आजीवन अन्न ग्रहण नहीं करेंगे.

उनकी इस कठोर साधना में उनकी जीवन संगिनी भी सहभागी हैं. उन्होंने भी तीन-तीन दिन तक उपवास रखने का संकल्प लिया है. दोनों का मानना है कि त्याग और तपस्या से आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है और मनुष्य अपने जीवन के असली उद्देश्य को प्राप्त कर सकता है.

स्वामी गौतमानंद महाराज ने यह भी दावा किया कि उनके आशीर्वाद से कई लोगों की बीमारियां दूर हो चुकी हैं. उन्होंने एक उदाहरण देते हुए बताया कि एक बार एक गंभीर कोरोना संक्रमित व्यक्ति उनकी शरण में आया था, जैसे ही उन्होंने उसके सिर पर हाथ रखा, वह पूरी तरह स्वस्थ हो गया.

स्वामी के निवास रोहिणीपुरम में अखंड ज्योति जल रही है, जो वर्षभर बिना रुके प्रज्ज्वलित रहती है. उन्होंने कहा, “जब तक मैं जीवित हूँ, यह ज्योति जलती रहेगी. हम दिखावे में नहीं, कर्म में विश्वास रखते हैं”

स्वामी गौतमानंद ने श्रद्धालुओं को संदेश दिया कि कुमार्ग छोड़कर सत्य के मार्ग पर चलें और अपने जीवन के उद्देश्य को समझें. उन्होंने कहा, “ढोंग करने वाले एक दिन सजा पाते हैं. बुरे कर्म से डरिए, क्योंकि सच्चाई की शक्ति सबसे बड़ी होती है.”

 

 

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