राकेश टिकैत ने कहा कि यह भूमि-विस्थापन के खिलाफ आम जनता के लड़ाकेपन का प्रतीक है. इस लड़ाई में वो कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि हसदेव हो या कोरबा या हो बस्तर, केंद्र और राज्य सरकार मिलकर उद्योगपतियों को जमीन देना चाहती है. इसके लिए सरकार गरीबों से उनकी जमीन छीनना चाहती है
राकेश टिकैत ने कहा कि यह भूमि-विस्थापन के खिलाफ आम जनता के लड़ाकेपन का प्रतीक है. इस लड़ाई में वो कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि हसदेव हो या कोरबा या हो बस्तर, केंद्र और राज्य सरकार मिलकर उद्योगपतियों को जमीन देना चाहती है. इसके लिए सरकार गरीबों से उनकी जमीन छीनना चाहती है